कियद्-युधानाः मृत्युगताः
कियद्-युधानाः मृत्युगताः?
हृतयौवनाः नैके हा!
तन्-मृत्युः ह्यपराजेयः,
ततो मृतः नासं नु कुतः ?
श्रुता हिमवतः कथा अमेया
प्रहरिणः किल भारत्याः,
अथ मृतबलाः किल वदन्ति
काम्या जागरिता वाहिनी
अहो! 'भारत-सीमान्तः' लोकितः,
येन शत्रोः पशुत्वं ज्ञापितं
अथ मृतमौनिशूरसेनायै
अश्रोः अश्रुणोऽञ्जलिरर्पितः।
कियद्-युधानाः मृत्युगताः?
कुतः रिक्त-पितृ-सुहृदयम्,
मातृवक्षः सुतरहितम्?
रक्तसिन्दूरैः योषितः
वासनाविरहिताः कुतश्च ?
कियद्-युधानाः मृत्युगताः?
प्रतिशूरं रक्तिमो बिन्दुः,
जातः अनन्तसाहससिन्धुः;
तद्-दुर्जेयसाहसलहर्या
विजयप्रतिज्ञा ज्ञापिता ।
हिन्दी भावार्थ -
कितने जवान चल बसें?
किसके यौवन चले गये?
वो मौत है अपराजेय
काश मैं भी होता इनमें से ?
सुने हिमालय भारत की प्रहरी,
सुने थे बचपन मे कहानी,
पर मृत जवानों ने आवाज दी,
चाहिए चिर जाग्रत एक वाहिनी !
आज कामें-सीमान्त को देखा,
और शत्रुओं के पशुत्व पहचाना,
मेरे आखें जो अश्रु से भरे,
उन शत मौन जवान के लिए ।
कितने पिता पुत्रों को खोए,
कौन माताओं के हृदय सुने हो गए,
सुहाग किसके उजड़े,
किसके आशा अपूर्ण रहे?
हर जवान रक्त के बुंद है,
जो साहस के अनन्त सिंधु है,
उस साहस के दुर्जेय लहर ने,
अर्पण किए जय की वचन से!
मूलरचना स्वरश्च, डाॅ भूपेन हजारिका (१९६२)
अनुवादकः कण्ठस्वरश्च - रञ्जनः बेजबरुवाः ।
अनुवादसम्पादनम् - डाॅ नारायणदत्तमिश्रः॥
हिन्दी अनुवाद- डाॅ मुन मुन बरा
Dedicated to the Nation
Sanskrit Rendition of Original Assamese Composition of
Bharat Ratna Dr. Bhupen Hazarika (in 1962)
Sanskrit Translation and Vocal Rendition by Ranjan Bezbaruah
Translation Editor: Dr Narayan Dutt Mishra
Courtesy: Bhupen Hazarika Cultural Trust,
Dr Bhupen Hazarika Foundation;
Sanskrit Bhasha Vikash Mancha, Nagaon;
Amiya Devi Kala Kendra, Dergaon;
Dept. of Sanskrit, Gauhati University
Conceived, prepared and published by
᳚Lokbhasha Prachar Samitih, Bharat on the grand
occasion of India's 75th Indendence Day, 2021.
**https://youtu.be/ZrN1aiHEU-M