राष्ट्रध्वजगीतम्
(गीतिका) (मात्रासमक जाति)
जयति त्रिवर्णै गुणगणपूर्णै
जगति समिद्ध सुषमाऽऽकीर्णम् ।
स्नेह-सौख्य-रस गौरव-मानं
धृति-मति शक्ति-सुधौघ-निधानम् ॥ जयति०॥
विश्व शान्ति हित-कृत सन्देश
भ्रातृभाव समतैक निदेशम् ।
चारु चरित कृत-जन-सन्तोषं
आधि-व्याधि भय-शोषण शोषम् ॥ जयति०॥
वीर केतुरयमुच्छ्रिन-दण्ड
शौर्य प्रधर्षित रिपु दल खण्ड ।
शत्रु सैन्य दलनेन प्रचण्ड
क्रान्तिकारि चरितामृत चण्ड ॥ जयति०॥
ध्वजमिममुन्नय, मातरमर्चय,
अञ्जय देशहितार्पित-जीवम् ।
भञ्जय शत्रु, रञ्जय मित्र
मण्डय देश, खण्डय द्वेषम् ॥ जयति०॥
कैसर श्वेत-हरित-गुणपूर्णै
वर्णैर्भ्राजित-रुचिर-सुशोभम् ।
कैसर-वर्णित त्याग-तपोबल
शौर्य धैर्य-गरिमोच्चय-पूर्णम् ॥ जयति०॥
श्वेत-वर्ण-धृत-शम-सन्तोष
सत्य-अहिंसा-शान्ति-गुणौघम् ।
हरित-वर्ण-श्रित-वैभव भावं
उन्नति-प्रगति विकास गुणाढ्यम् ॥ जयति०॥
धर्म-चक्र-संसूचित धर्मं
धर्मं-नय धर्मार्पित देहम् ।
प्रगति-सूचक चक्रमिदं ते
सूर्य-चक्रमिव हास विकासम् ॥ जयति०॥
लोक-हिताय जगद्धित हैतो
भ्रातृभाव समता-सुख-हेतो ।
प्रगति विकास-समुन्नति-हेतो
विलसेद् राष्ट्रध्वज सुख सेतु ॥ जयति०॥
क्रान्तिकारिभिर्जीवन-दानैः
शान्ति-पथैः सर्वस्व प्रदानैः ।
वीर धीर-जन-जीवन त्यागैः,
अर्चितमेतत् प्रतिपल रम्यम् ॥ जयति०॥
क्रान्ति शौर्य धृति-जीवन-दान
शिक्षय लोक, शोषय शोकम् ।
षष्टि-कोटि-जय-नाद-समुर्त्यम् ।
विहरेद् विलसेद् गौरव-पूर्णम् ॥ जयति०॥
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