जयतु जननी जन्मभूमिः

जयतु जननी जन्मभूमिः

जयतु जननी जन्मभूमिः पुण्यभुवनं भारतं जयतु जम्बूद्वीपमखिलं सुन्दरं धामामृतम् । पुण्यभुवनं भारतम् ॥ ध्रुवपदम्॥ धरित्रीयं सर्वदात्री शस्यसुफला शाश्वती । रत्नगर्भा कामधेनुः कल्पवल्ली भास्वती । विन्ध्यभूषा सिन्धुरशना हिमगिरिशिखा शर्मदा । रम्य-गङ्गा-सङ्गयमुना महानदीह नर्मदा कर्मतपसां सार्थतीर्थं प्रकृतिविभवालङ्कृतम् ॥ १॥ जयतु ॥ आकुमारी-हिमगिरेर्नो लभ्यते सा सभ्यता । एकमातुः सुतास्सर्वे भाति दिव्या भव्यता । यत्र भाषा-वेष-भूषा-रीति-चलनैर्विविधता । तथाप्येका ह्यद्वितीया राजते जातीयता । ऐक्य-मैत्री-साम्य-सूत्रं परम्परया सम्भृतम् ॥ २॥ जयतु॥ आत्मशिक्षा-ब्रह्मदीक्षा-ज्ञानदीपैरुज्ज्वलम् । योग-भोग-त्याग-सेवा-शान्ति-सुगुणैः पुष्कलम् । यत् त्रिरङ्गं ध्वजं विदधत् वर्षमार्षं विजयते । सार्वभौमं लोकतन्त्रं धर्मराष्ट्रं गीयते । मानविकता-प्रेमगीतं विबुधहृदये झङ्कृतम् ॥ ३॥ जयतु ॥ -- रचना: डाॅ हरेकृष्णमेहेरः

हिन्दी भावानुवाद : डाॅ हरेकृष्ण मेहेर

हमारी जननी, जन्मभूमि, पुण्यभूमि भारतवर्ष की जय हो । समग्र जम्बूद्वीप की जय हो । सुन्दर अमृतधाम भारतवर्ष की जय हो । प्यारी भारत-माता को हमारा सादर वन्दन ॥ (०) यह धरती,भारतभूमि, हमें सब कुछ प्रदान करती है । धान्यादि शस्यों से, फलों से समृद्ध है यह चिरन्तन भूमि । इसके गर्भ में कई मणिरत्न भरे हुए हैं । कामधेनु-स्वरूपा भारत-माता वांछित फलदायिनी है । यह तेजोमयी कल्पलता-स्वरूपा है, अभिलाषा पूर्ण करती है । हमारी यह मातृभूमि विन्ध्यपर्वत से विभूषित है । समुद्र इसकी रशना (कटिसूत्र) है अर्थात् यह समुद्र-वेष्टित है । हिमालय इसका मस्तक है । यह सुख-शान्तिदायिनी है । यहां सुन्दर गंगानदी के संग यमुना बहती है, महानदी है, नर्मदा है और भी । हमारा यह भारत कर्म और तपस्या का सार्थक तीर्थरूप है । विपुल प्राकृतिक संपदाओं से सुशोभित है । हमारी प्यारी जन्मभूमि, मातृभूमि, पुण्यभूमि, सुन्दर अमृतधाम भारतवर्ष की जय हो ॥ (१) कन्याकुमारी से हिमालय पर्यन्त हमारी प्रसिद्ध सभ्यता परिव्याप्त है । हम सब एक भारत-माता की सन्तानें हैं । यहां दिव्य भव्यता प्रतिभात होती है । यहां भारतवासी लोगों में भाषा, वेशभूषा, सामाजिक रीति, लोकाचार आदि में कुछ विविधता है, फिर भी एक ही जातीयता अर्थात् राष्ट्रीय भाव, भारतीयता अद्वितीय रूप में विराजमान है । एकता, मैत्री और समानता की संबन्ध-डोरी परम्परा से सभीको सम्मिलित करके सुदृढ़ रही है । हमारी प्यारी जन्मभूमि, मातृभूमि, पुण्य-भूमि, सुन्दर अमृतधाम भारतवर्ष की जय हो ॥ (२) आत्मतत्त्व-शिक्षा, ब्रह्मविषयक दीक्षा और ज्ञानरूप प्रदीप से समुज्ज्वल है हमारा भारत । यह योग, भोग, त्याग, सेवा, शान्ति आदि सद्गुणों से सुसम्पन्न है । ऋषिमुनियों का देश हमारा यह भारतवर्ष तिरंगा पताका धारण करके विजयशाली है । हमारा भारतदेश सार्वभौम, गणतन्त्र एवं धर्मराष्ट्र के रूप में दुनिया में यशस्वी और प्रख्यात है । यहां मानवता-रूप प्रेम का गीत सुधीजनों के हृदय में सदा झंकृत होता है । हमारी प्यारी जन्मभूमि, मातृभूमि, पुण्यभूमि, सुन्दर अमृतधाम भारतवर्ष की जय हो । भारत-माता को हमारा सादर वन्दन ॥ (३)
% Text title            : Jayatu Janani Janmabhumi with Hindi meaning
% File name             : jayatujananI.itx
% itxtitle              : jayatu jananI janmabhumiH puNyabhuvanaM bhAratam (sArtham harekRiShNameheravirachitam)
% engtitle              : jayatujananI janmabhumiH puNyabhuvanaM bhAratam
% Category              : misc, sanskritgeet
% Location              : doc_z_misc_general
% Sublocation           : misc
% Author                : Harekrishna Meher meher.hk at gmail.com
% Language              : Sanskrit
% Subject               : philosophy/hinduism/religion
% Transliterated by     : Shubha shubhazero at gmail.com
% Proofread by          : Shubha shubhazero at gmail.com
% Translated by         : Harekrishna Meher
% Description/comments  : MatrigitikA
% Indexextra            : (Text and translation, Info, Collection, bvp, Wiki, Video 1, 2, 3, 4)
% Acknowledge-Permission: Dr. Harekrishna Meher
% Latest update         : October 12, 2023
% Send corrections to   : sanskrit at cheerful dot c om
% Site access           : https://sanskritdocuments.org

This text is prepared by volunteers and is to be used for personal study and research. The file is not to be copied or reposted for promotion of any website or individuals or for commercial purpose without permission. Please help to maintain respect for volunteer spirit.

BACK TO TOP
sanskritdocuments.org