गुजराती भजनों गरबा अने लोकगीतों

गुजराती भजनों गरबा अने लोकगीतों

अनुक्रमणिका

अमे महियारा रे गोकुळ गामना पंखीडारे उडीने जाजो चोटील् गढरे वैष्णव जन तो तेने कहीए, जे पीड पराई जाणे रे, जेवो तेवो पण तारो ओ ईश्वर भजीए तने मोटुं छे तुज नाम अंबामा ना ऊंचा मंदिर नीचा मोल वा वाया ने वादळ उमट्यां, जय आद्या शक्ति मा, जय आद्या शक्ति सोना ईंढोणी रूपा बेडलुं रे मारो जीवनपंथ उजाळ आज रे स्वपनामां में तो डोलतो डुंगर दीठो जो, झूलण मोरली वागी रे राजाना कुंवर सोना वाटकडी रे केसर घोळ्यां वालमिया, मंदिर तारू विश्व रूपाळुं, ज्यां ज्यां नझर मारी ठरे, यादी भरी त्यां आपनी आजनी घडी ते रळियामणी गोळी फोडी मारी गोळी फोडी खम्मा मारा नंदजीना लाल , मोरली क्यां रे वगाडी? नागर नंदजीना लाल रूडी ने रंगीली रे वहाला तारी वांसळी रे लोल. वादलडी वरसी रे , सरोवर छली वळ्यां. हलके हाथे ते नाथ! महिडां वलोवजो, नटवर नानो रे, कानो रमेछे मारी केडमां हो रंग रसिया ! क्यां रमी आव्या रास जो? हरिने भजतां हजु कोईनी लाज जतां नथी जाणी रे तमे एकवार मारवाड जाजो रे हो मारवाडा ! अमे तो तारां नानां बाळ अमारी तुं लेजे सम्भाळ शंभु शरणे पडी, मांगु घडी रे घडी विश्वंभरी अखिल विश्वतणी जनेता आनंद मंगल करुं आरती आनंदनो गरबो

गुजराती भजनों गरबा अने लोकगीतों

अमे महियारा रे गोकुळ गामना

अमे महियारा रे गोकुळ गामना मारे महि वेचवाने जावां ॥ महियारा रे मथुराने वाटे महि वेचवाने नीसरी नटखट ए नंदकिशोर मागे छे दाणजी ओ मारे दाण लेवाने देवां ॥ महियारा रे मावडी जशोदाजी कानजीने वारो दुखडां दीए हजार नंदजीनो लालो हे मारे दुख सेहवाने केवां ॥ महियारा रे नरसैयांनो नंदकिशोर लाडकयो कानजी भूलावे भान सान उंघेथी जगाडतो हे निर्मळ हैयांनी वात कहेवां ॥ महियारा रे

पंखीडारे उडीने जाजो चोटील् गढरे

पंखीडारे उडीने जाजो चोटील् गढरे चामुंडामाने जईने कहेजो गरबे रमे रे। पंखीडा हो ओ पंखीडा पंखीडा हो ओ पंखीडा मारा गामना सुथारी वीरा व्हेला आवोरे मारी चामुंडामाने काजे रूडा बाजोठ लावोरे सारा लावो सुंदर लावो व्हेला आवोरे चामुंडामाने जईने कहेजो गरबे रमे रे...पंखीडा मारा गामना कसुंबी वीरा व्हेला आवोरे मारी चामुंडामाने काजे रूडी चुंदडी लावोरे सारी लावो सुंदर लावो व्हेला आवोरे चामुंडामाने जईने कहेजो गरबे रमे रे...पंखीडा मारा माना मणीयारा वीरा व्हेला आवोरे मारी चामुंडामाने काजे रूडा चुडला लावोरे सारा लावो सुंदर लावो व्हेला आवोरे चामुंडामाने जईने कहेजो गरबे रमे रे...पंखीडा मारा गामना कुंभारी वीरा व्हेला आवोरे मारी चामुंडामाने काजे रूडा गरबा लावोरे सारा लावो सुंदर लावो व्हेला आवोरे चामुंडामाने जईने कहेजो गरबे रमे रे...पंखीडा

वैष्णव जन तो तेने कहीए, जे पीड पराई जाणे रे,

वैष्णव जन तो तेने कहीए, जे पीड पराई जाणे रे, परदुःखे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आणे रे सकळ लोक मां सहुने वंदे, निंदा न करे केनी रे, वाच काछ मन निश्चळ राखे, धन धन जननी तेनी रे समद्रष्टि ने तृष्णा त्यागी, परस्त्री जेने मात रे, जिह्वा थकी असत्य न बोले, परधन नव झाले हाथ रे मोह माया व्यापे नहिं जेने, द्रढ वैराग्य जेना मनमां रे, रामनामशुं ताळी लागी, सकळ तीरथ तेना तनमां रे वणलोभी ने कपटरहित छे, काम क्रोध निवार्यां रे भणे नरसैंयो तेनुं दरसन् करतां, कुळ एकोतेर तार्याँ रे

जेवो तेवो पण तारो

जेवो तेवो पण तारो हाथ पकड प्रभु मारो॥ तारे भरोसे जीवन नभतुं, मनडुं चंचळ ज्यां त्यां भमतुं करतुं खोटा विचारो, हाथ पकड प्रभु मारो॥ समजी ने हुं आगळ पडतो, मायानो भडको भडभडतो करतो खोटा विचारो, हाथ पकड प्रभु मारो॥ ज्यां चालुं त्यां कांटा वागे, वागे पण हुं चालुं आगे थातो पाप वधारो, हाथ पकड प्रभु मारो॥ पुनित ना अंतर नी वाणी, अंतर्यामी ले तुं जाणी एकज तुं छे सहारो, हाथ पकड प्रभु मारो॥

ओ ईश्वर भजीए तने मोटुं छे तुज नाम

ओ ईश्वर भजीए तने मोटुं छे तुज नाम गुण तारा नित गाईएं थाय अमारा काम। हेत लावी हसाव तुं सदा राख दील साफ़ भूल कदी करीएं अमें तो प्रभु करजो माफ़। सर्जनहारा देव हे दूर बधां कर पाप होय भलुं जे जग विषे ते तुं अमने आप।

अंबामा ना ऊंचा मंदिर नीचा मोल

अंबामा ना ऊंचा मंदिर नीचा मोल झरूखडे दीवा बळे रे लोल ॥ अंबामा ना गोख गब्बर अणमोल के शिखरे शोभा घणी रे लोल ॥ आवी आवी नवरात्रि नी रात के बाळ तारां रासे रमे रे लोल ॥ अंबामा गरबे रमवा आवो के बाळ तारां विनवे रे लोल ॥ अंबामा ने शोभे छे शणगार के पगले कंकु झरे रे लोल ॥ रांदलमा रासे रमवा आवो के मुखडे फ़ूलडां झरे ए लोल ॥ बहुचरमा गरबे रमवा आवो के आंखथी अमी झरे रे लोल ॥ मा तारूं दिव्य अनुपम तेज के जोई मारी आंख ठरे रे लोल ॥ गरबो तारो बाळ गवरावे के भक्तो तारा पाये पडे रे लोल ॥

वा वाया ने वादळ उमट्यां,

वा वाया ने वादळ उमट्यां, गोकुळ मां टहुक्या मोर मळवा आवो सुंदरवर शामळीया ॥ तमे मळवा ते ना आवो शा माटे ना आवो तो नंदजी नी आण ॥ मळवा आवो ॥ तमे गोकुळ नी गाय चारंता तमे गोकुळ ना छो चोर ॥ मळवा आवो ॥ तमे व्रज मां ते वांसळी वाजंता तमे गोपीओ नां चित्तचोर ॥ मळवा आवो ॥ महेता नरसिंह ना स्वामी शामळिया अमने तेडी रमाड्या रास ॥ मळवा आवो ॥

जय आद्या शक्ति मा, जय आद्या शक्ति

जय आद्या शक्ति मा, जय आद्या शक्ति अखंड ब्रह्मांड दीपाव्या पडवे पंडित मा ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ द्वितीया बे स्वरूप, शिव शक्ति जाणुं, मा शिव शक्ति जाणुं, ब्रह्मा गणपति गाये, हर गाये हर मा ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ तृतीया त्रण स्वरूप, त्रिभुवनमां बेठा मा त्रिभुवनमां बेठां, त्रया थकी तरवेणी, तुं तरवेणी मा ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ चोथे चतुरा महालक्श्मी, मा सचराचर व्याप्या मा सचराचर व्याप्या, चार भुजा चौदिशा, प्रगट्या दक्शिणमां ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ पंचमी पंचऋषि, पंचमी गुण पदमा, मा पंचमी गुण पदमा, पंच सहस्त्र त्यां सोहिये, पंचतत्त्वे मा ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ षष्ठि तुं नारायणी, महिषासुर मार्यो, मा महिषासुर मार्यो, नर नारी ना रूपे, व्याप्या सघळे मा ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ सप्तमी सप्त पाताळ, सावित्री संध्या, मा सवित्री संध्या, गौ गंगा गायत्री, गौरी गीता मा ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ अष्टमी अष्ट भुजा, आई आनंदा, मा आई आनंदा, सुरनर मुनीवर जनम्या, देव दैत्यो मा ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ नवमी नवकुळ नाग, सेवे नव दुर्गा, मा सेवे नव दुर्गा, नवरात्रि ना पूजन, शिवरात्रि ना अर्चन्, कीधां हर ब्रह्मा ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ दशमी दश् अवतार, जय विजया दशमी, मा जय विजया दशमी, रामे राम रमाड्या, रावण रोळ्यो मा ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ एकादशी अगियारस कात्यायनी अंबा मा मा कात्यायनी अंबा मा, कामदुर्गा कालिका, श्यामा ने रामा ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ बारसे बाळा रूप, बहुचरी अंबा मा, मा बहुचरी अंबा मा, बटुक भैरव सोहिये, काळ भैरव सोहिये, तारा छे तुज मा ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ तेरसे तुळजा रूप, तुं तारिणी माता, मा तुं तारिणी माता, ब्रह्मा विष्णु सदाशिव गुण तारा गाता ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ चौदसे चौद् रूप्, चंडी चामुंडा, मा चंडी चामुंडा, भाव भक्ति कंई आपो, चतुराई कंई आपो, सिंहवाहिनी माता ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ पूनमे कुंभ भर्यो, सांभळजो करूणा, मा सांभळजो करूणा, वसिष्ठ देवे वखाण्या, मार्कँड देवे वखाण्या, गाई शुभ कविता ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ सवंत सोळ सत्तावन, सोळसे बावीसमां मा सोळसे बावीसमां, सवंत सोळे प्रगट्या, रेवा ने तीरे, ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ त्रंबावती नगरी आई, रूपावती नगरी, मा मंछावती नगरी, सोळ सहस्त्र त्यां सोहिये, क्शमा करो गौरी, मा दया करो गौरी, ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥ शिव शक्ति नी आरती जे कोई गाशे, मा जे कोई गाशे, भणे शिवानंद स्वामी, सुख संपति थाशे, हर कैलासे जाशे ॐ जयो जयो मा जगदंबे ॥

सोना ईंढोणी रूपा बेडलुं रे

सोना ईंढोणी रूपा बेडलुं रे नागर ऊभां रो रंग रसिया पाणीडां गईती तळाव रे नागर ऊभां रो रंग रसिया ॥ कांठे ते कान घोडां खेलवे रे - नागर ऊभां ... कान मुने घडुलो चडाव रे - नागर ऊभां ... तारो घडो ते गोरी तो चडे रे - नागर ऊभां ... तुं जो मारा घरडानी नार रे - नागर ऊभां ... फट रे गोजारा फट पापिया रे - नागर ऊभां ... तुं छो मारो माडीजायो वीर रे - नागर ऊभां ... अरडी मरडीने घडो में चडाव्यो रे - नागर ऊभां ... तूटी मारा कमखानी कस रे - नागर ऊभां ... भाई रे दरजीडा वीरा विनवुं रे - नागर ऊभां ... टांक्य मारा कमखानी कस रे - नागर ऊभां ... कसे ते टांक्य घम्मर घूघरी रे - नागर ऊभां ... हैये ते लख्य झीणा मोर रे - नागर ऊभां ... जातां वागे ते घम्मर घूघरी रे - नागर ऊभां ... वळतां झींगोरे नीला मोर रे - नागर ऊभां ... सोना ईंढोणी रूपा बेडलुं रे नागर ऊभां रो रंग रसिया पाणीडां गईती तळाव रे नागर ऊभां रो रंग रसिया

मारो जीवनपंथ उजाळ

मारो जीवनपंथ उजाळ प्रेमळ ज्योति तारो दाखवी मुज जीवनपंथ उजाळ। - प्रेमळ ज्योति ... दूर पड्यो निज धामथी हुं ने घेरे घन अंधार, मार्ग सूझे नव घोर रजनीमां, निज शिशुने संभाळ, मारो जीवनपंथ उजाळ। - प्रेमळ ज्योति ... डगमगतो पग राख तुं स्थिर मुज, दूर नजर छो न जाय, दूर मार्ग जोवा लोभ लगीर न, एक डगलुं बस थाय, मारे एक डगलुं बस थाय। - प्रेमळ ज्योति ... आज लगी रह्यो गर्वमां हुं ने मागी मदद न लगार, आपबळे मार्ग जोइने चालवा हाम धरी मूढ बाळ, हवे मागुं तुज आधार। - प्रेमळ ज्योति ... भभकभर्या तेजथी हुं लोभायो, ने भय छतां धर्यो गर्व, वीत्यां वर्षोने लोप स्मरणथी स्खलन थयां जे सर्व, मारे आज थकी नवुं पर्व। - प्रेमळ ज्योति ... तारा प्रभावे निभाव्यो मने प्रभु आज लगी प्रेमभेर, निष्चे मने ते स्थिर पगलेथी चलवी पहोंचाडशे घेर, दाखवी प्रेमळ ज्योतिनी सेर। - प्रेमळ ज्योति ... कर्दमभूमि कळण भरेली, ने गिरिवर केरी कराड, धसमसता जळ केरा प्रवाहो, सर्व वटावी कृपाळ, मने पहोंचाडशे निज द्वार। - प्रेमळ ज्योति ... रजनी जशे ने प्रभात ऊजळशे, ने स्मित करशे प्रेमाळ, दिव्यगणोनां वदन मनोहर मारे हृदय वस्यां चिरकाळ, जे में खोयां हतां क्षणवार। - प्रेमळ ज्योति ... नरसिंहराव दिवेटिया

आज रे स्वपनामां में तो डोलतो डुंगर दीठो जो,

आज रे स्वपनामां में तो डोलतो डुंगर दीठो जो, खळखळती नदीउं रे साहेली मारा स्वपनामां रे। आज रे स्वपनामां में तो घम्मर वलोणुं दीठुं जो, दहीं दूधना वाटका रे साहेली मारा स्वपनामां रे। आज रे स्वपनामां में तो लविंग-लाकडी दीठी जो, ढींगलां ने पोतियां रे साहेली मारा स्वपनामां रे। आज रे स्वपनामां में तो जटाळो जोगी दीठो जो, सोनानी थाळी रे साहेली मारा स्वपनामां रे। आज रे स्वपनामां में तो पारसपीपळो दीठो जो, तुळसीनो क्यारो रे साहेली मारा स्वपनामां रे। आज रे स्वपनामां में तो गुलाबी गोटो दीठो जो, फूलडियांनी फोयुँ रे साहेली मारा स्वपनामां रे। डोलतो डुंगर इ तो अमारो ससरो जो, खळखळती नदीए रे सासुजी मारां नातांतां रे। घम्मर वलोणुं इ तो अमारो जेठ जो, दहीं दूधना वाटका रे जेठाणी मारां जमतांतां रे। लविंग-लाकडी इ तो अमारो देर जो, ढींगले ने पोतिये रे देराणी मारां रमतांतां रे। जटाळो जोगी इ तो अमारो नणदोइ जो, सोनानी थाळीए रे नणंदी मारां खातांतां रे। पारसपीपळो इ तो अमारो गोर जो, तुळसीनो क्यारो रे गोराणी मारां पूजतांतां रे। गुलाबी गोटो इ तो अमारो परण्यो जो, फूलडियांनी फोयुँ साहेली मारी चूंदडीमां रे। आज रे स्वपनामां में तो डोलतो डुंगर दीठो जो, खळखळती नदीउं रे साहेली मारा स्वपनामां रे।

झूलण मोरली वागी रे राजाना कुंवर

झूलण मोरली वागी रे राजाना कुंवर हालो ने जोवा जाइये रे मोरली वागी रे राजाना कुंवर। चडवा ते घोडो हंसलो रे राजाना कुंवर, पितळिया पलाण रे मोरली वागी रे राजाना कुंवर। बांये बाजुबंध बेरखा रे राजाना कुंवर, माथे मेवाडां मोळियां रे राजाना कुंवर, किनखाबी सूरवाळ् रे मोरली वागी रे राजाना कुंवर। पगे राठोडी मोजडी रे राजाना कुंवर, चाले चटकती चाल्य रे मोरली वागी रे राजाना कुंवर।

सोना वाटकडी रे केसर घोळ्यां वालमिया,

सोना वाटकडी रे केसर घोळ्यां वालमिया, लीलो छे रंगनो छोड रंगमां रोळ्यां वालमिया। पग परमाणे रे कडलां सोईं वालमिया, कांबियुंनी बब्बे तारे जोड्य, रंगमां रोळ्यां वालमिया। केड परमाणे रे घाघरो सोईं वालमिया, ओढणीनी बब्बे तारे जोड्य, रंगमां रोळ्यां वालमिया। हाथ परमाणे रे चूडला सोईं वालमिया, गूजरीनी बब्बे तारे जोड्य, रंगमां रोळ्या वालमिया। डोक परमाणे रे झर्मर सोईं वालमिया, तुलसीनी बब्बे तारे जोड्य, रंगमां रोळ्या वालमिया। कान परमाणे रे ठोळियां सोईं वालमिया, वेळियांनी बब्बे तारे जोड्य रंगमां रोळ्यां वालमिया। नाक परमाणे रे नथडी सोईं वालमिया टिलडीनी बब्बे तारे जोड्य रंगमां रोळ्यां वालमिया।

मंदिर तारू विश्व रूपाळुं,

मंदिर तारू विश्व रूपाळुं, सुंदर सर्जनहारा रे, पळ पळ तारां दर्शन थाये, देखे देखनहारा रे ॥ नहि पूजारी नहि कोई देवा, नहि मंदिरने ताळां रे, नील गगन मां महिमा गातां, चांदो सूरज तारा रे ॥ वर्णन करतां शोभा तारी, थाक्यां कविगण धीरा रे, मंदिरमां तुं क्यां छुपायो, शोधे बाळ अधीरां रे ॥

ज्यां ज्यां नझर मारी ठरे, यादी भरी त्यां आपनी

ज्यां ज्यां नझर मारी ठरे, यादी भरी त्यां आपनी आंसु महीं ए आंखथी यादी झरे छे आपनी ! माशूकोना गालनी लाली महीं लाली, अने ज्यां ज्यां चमन ज्यां ज्यां गुलो त्यां त्यां निशानी आपनी ! जोउं अहीं त्यां आवती दरियावनी मीठी लहर तेनी उपर चाली रही नाजुक सवारी आपनी ! तारा उपर तारा तणां झूमी रह्यां जे झूमखां ते याद आपे आंखने गेबी कचेरी आपनी ! आ खूनने चरखे अने राते हमारी गोदमां आ दम-ब-दम बोली रही झीणी सितारी आपनी ! आकाशथी वर्षावता छो खंजरो दुश्मन बधा यादी बनीने ढाल खेंचाइ रही छे आपनी ! देखी बूराइ ना डरुं हुं, शी फिकर छे पापनी ? धोवा बूराइने बधे गंगा वहे छे आपनी ! थाकुं सितमथी होय ज्यां ना कोइ क्यांये आशना ताजी बनी त्यां त्यां चडे पेली शराबी आपनी ! ज्यां ज्यां मिलावे हाथ यारो त्यां मिलावी हाथने अहेसानमां दिल झूकतुं, रहेमत खडी त्यां आपनी ! प्यारुं तजीने प्यार कोइ आदरे छेल्ली सफर धोवाइ यादी त्यां रडावे छे जुदाइ आपनी ! रोउं न कां ए राहमां ए बाकी रहीने एकलो ? आशकोना राहनी जे राहदारी आपनी ! जूनुं नवुं जाणुं अने रोउं हसुं ते ते बधुं जूनी नवी ना कांइ ताजी एक यादी आपनी ! भूली जवाती छो बधी लाखो किताबो सामटी जोयुं न जोयुं छो बने जो एक यादी आपनी ! किस्मत करावे भूल ते भूलो करी नाखुं बधी छे आखरे तो एकली ने ए ज यादी आपनी ! सुरसिंहजी तख्तसिंहजी गोहिल ``कलापी''

आजनी घडी ते रळियामणी

आजनी घडी ते रळियामणी (नरशिंह महेता) आजनी घडी ते रळियामणी. हे मारो वहालोजी आव्यानी वधामणी हो जी रे ...आजनी ... जी रे तरिया तोरण तो बंधावियां हे मारा वहालाजीने मोतिडे वधावियां हो जी रे ...आजनी ... जि रे लीलुडा वांस वढावीए हे मारा वहालाजीनो मंडप रचावीए हो जी रे ...आजनी ... पूरो पूरो सोहागण साथियो हे वहालो आवे मलपतो हाथियो हो जी रे ...आजनी ... जी रे जमुनानां जळ मंगावीए हे मारा वहालाजीनां चरण पखाळीए हो जी रे ...आजनी ... सहु सखीओ मळीने वधावीए हे मारा वहालाजीनां मंगळ वधावीए हो जी रे ...आजनी ... जी रे तन मन धन ओवारीए हे मारां वहालाजीनी आरती उतारीए हो जी रे ...आजनी ... जी रे रस वाध्यो छे अति मीठडो हे महेता नरसैंनो स्वामी दीठडो हो जी रे ...आजनी ...

गोळी फोडी मारी गोळी फोडी

गोळी फोडी मारी गोळी फोडी जुओ जशोदा मारी गोळी फोडी गामनी गमाणमां गोविंद संताया वाछरु सर्वे मेल्या छोडी ...जुओ ... सूतां बाळकनां अंग मरोड्या नईयां ने नेतरां नाख्या तोडी शीकेथी वहाले गोरस उतार्यां खाधां नहीं एटलां नाख्या ढोळी ...जुओ ... चार पांच गोपीओ टोळे मळीने कानाने बांधी दईए ताणी ...जुओ ... चालो जशोदा माताने कहीए कानो कनडे छे शुं रे जाणी ...जुओ ... वल्लभना स्वमी प्रभु रसिया ने तोफानी गोळी फोडी एणे जाणी जाणी ...जुओ ...

खम्मा मारा नंदजीना लाल , मोरली क्यां रे वगाडी ?

खम्मा मारा नंदजीना लाल , मोरली क्यां रे वगाडी ? हुं तो सुतीती मारा शयन भुवनमां सांभळ्यो में मोरालीनो साद ...मोरली ...खम्मा ... भर रे नींदरमांथी झबकीने जागी भूली गई सुध भान सान ...मोरली ...खम्मा ... पाणीडानी मसे जीवन जोवाने हाली दीठा में नंदजीना लाल ...मोरली ...खम्मा ... दोणु लईने गाय दोहवाने बेठी नेतरां लीधां हाथ ...मोरली ...खम्मा ... वाछरु वराहे में तो छोकरांने बांध्यां नेतरां लईने हाथ ...मोरली ...खम्मा ...

नागर नंदजीना लाल

नागर नंदजीना लाल रास रमतां मारी नथडी खोवाणी काना जडी होय तो आल ...रास ... नानी नानी नथडी ने मांही जडेला हीरा नथडी आपो ने तमे सुभद्राना वीरा ...नागर ... नानेरी पहेरुं तो मारे नाके न सोहाय मोटेरी पहेरुं तो मारा मुख पर झोला खाय ...नागर ... वृंदावननी कुंज गलीमां बोले झीणा मोर राधाजीनी नथडीनो शामळीयो छे चोर ...नागर ... नथडी आपो ने प्रभु नंदना कुमार नरसैंयाना स्वामी उपर जाउं बलिहार ...नागर ...

रूडी ने रंगीली रे वहाला तारी वांसळी रे लोल.

रूडी ने रंगीली रे वहाला तारी वांसळी रे लोल. मीठी ने मधुरी रे मावा तारी मोरली रे लोल वांसलडी मारे मंदिरिये संभळाय जो पाणीडांने मशे रे जीवण जोवा नीसरी रे लोल बेडा मेल्यां मान सरोवर पाळ जो ईंढोणी वळगाडी रे आंबलियानी डाळीए रे लोल गोपी ते हाल्या वनरा ते वननी मोझार जो कान वर कोडीला रे केडो मारो रोकी ऊभा रे लोल केडो मेलो पातळिया भगवान जो सासुडी हठीली मारी नणदल महेणां मारशे रे लोल वागी तारा झांझरनो झणकार जो हळवां हळवां हालो रे तमे राणी राधिका रे लोल जीवडो मारो आकुळ व्याकुळ थाय जो अहींयां कोईए दीठा रे कामणगारा कानने रे लोल नीरखी नीरखी थई छुं हुं तो न्याल जो नरसैंयाना स्वमी रे बाईयुं अमने भले मळ्या रे लोल

वादलडी वरसी रे , सरोवर छली वळ्यां.

वादलडी वरसी रे , सरोवर छली वळ्यां. सासरीये जावुं रे , महियरिये महाली रह्यां मारा पग केरां कडलां रे वीरो मारो लेवा हाल्यो. वीरा लईने वहेलो आवजे रे सासरीयां मारां घेरे बेठां ...वादलडी ... मारा हाथ केरो चुडलो रे वीरो मारो लेवा हाल्यो. वीरा लईने वहेलो आवजे रे सासरीयां मारां घेरे बेठां ...वादलदी ... मारी डोक केरो हारलो रे वीरो मारो लेवा हाल्यो. वीरा लईने वहेलो आवजे रे सासरीयां मारां घेरे बेठां ...वादलदी ... मारा नाक केरी नथडी रे वीरो मारो लेवा हाल्यो. वीरा लईने वहेलो आवजे रे सासरीयां मारां घेरे बेठां ...वादलदी ... वादलदी वरसी रे , सरोवर छली वळ्यां. सासरीये जावुं रे , महियरिये महाली रह्यां

हलके हाथे ते नाथ! महिडां वलोवजो,

हलके हाथे ते नाथ! महिडां वलोवजो, महिडांनी रीत नोय आवी रे लोल ..aलके ... गोळी नंदवाशे नाथ, चोळी छंटाशे, मोतिडानी माळा तूटशे रे लोल ..aलके ... गोळी नंदवाशे नाथ, गोरस वही जाशे, गोरीनां चीर महीं भींजशे रे लोल ..aलके ... नानी शी गोरसीमां जमनाजी ऊछळे, एवी न नाथ, दोरी ताणो रे लोल ..aलके ... नानी शी गोरसीमां अमृत ठारियां, हळवे उघाडी नाथ! चाखो रे लोल ..aलके ... हलके हाथे ते नाथ! महिडां वलोवजो.

नटवर नानो रे, कानो रमेछे मारी केडमां

नटवर नानो रे, कानो रमेछे मारी केडमां नंदकुंवर नानो रे, गेडी दडो कानाना हाथमां ...नटवर ... क्यो तो गोरी हालारी हाथीडा मंगावी दउं हाथीडानो वोरनार रे, कानो रमेछे मारी केडमां ...नटवर ... क्यो तो गोरी घोघानां घोलडां मंगावी दउं घोलडानो वोरनार रे, कानो रमेछे मारी केडमां ...नटवर ... क्यो तो गोरी चित्तोडनी चूंदडी मंगावी दउं चूंदडीनो वोरनार रे, कानो रमेछे मारी केडमां ...नटवर ... -लोकगीत

हो रंग रसिया ! क्यां रमी आव्या रास जो?

हो रंग रसिया ! क्यां रमी आव्या रास जो? आंखलडी राती ने उजागरो शाने कीधो. आज अमे ग्याता सोनीडाने हाट जो, आ झाल झूमणा वहोरतां ने वहाणलां वाही गयां ..o रंग ... आज अमे ग्याता मणियाराने हाट जो, आ चूडलडो उतरावतां वहाणलां वाही गयां ..o रंग ... आज अमे ग्याता कसुंबीने हाट जो, आ चुंदलडी वहोरतां वहाणलां वाही गयां ..o रंग ... आज अमे ग्याता मोचिडाने हाट जो, आ मोजडियुं मूलवतां ने वहाणलां वाही गयां ..o रंग ...

हरिने भजतां हजु कोईनी लाज जतां नथी जाणी रे

हरिने भजतां हजु कोईनी लाज जतां नथी जाणी रे जेनी सुरता शामळिया साथ वदे वेद वाणी रे वहाले उगार्यो प्रहलाद हरणाकंस मार्यो रे विभीषणने आप्युं राज रावण संहार्यो रे वहाले नरशिंह महेताने हार हाथोहाथ आप्यो रे ध्रुवने आप्युं अविचळ राज पोतानो करी स्थाप्यो रे व्हाले मीरां ते बाईना झेर हळाहळ पीधां रे पांचाळीना पूर्या चीर पांडव काम कीधां रे आवो हरि भजवानो ल्हावो भजन कोई करशे रे कर जोडी कहे प्रेमळदास भक्तोना दुःख हरशे रे

तमे एकवार मारवाड जाजो रे हो मारवाडा !

तमे एकवार मारवाड जाजो रे हो मारवाडा ! तमे मारवाडनी मेंदी लावजो रे हो मारवाडा ! तमे ओलुं लावजो पेलुं लावजो पान सोपारी पाननां बीडां एलची दाणा हों के पेलुं लावजो रे हो मारवाडा ! तमे एकवार घोघा जाजो रे हो मारवाडा ! तमे घोघाना घुघरां लावजो रे हो मारवाडा ! तमे ओलुं लावजो पेलुं लावजो पान सोपारी पाननां बीडां एलची दाणा हों के पेलुं लावजो रे हो मारवाडा ! तमे एकवार चित्तळ जाजो रे हो मारवाडा ! तमे चित्तळनी चूंदडी लावजो रे हो मारवाडा ! तमे ओलुं लावजो पेलुं लावजो पान सोपारी पाननां बीडां एलची दाणा हों के पेलुं लावजो रे हो मारवाडा !

अमे तो तारां नानां बाळ अमारी तुं लेजे सम्भाळ

अमे तो तारां नानां बाळ अमारी तुं लेजे सम्भाळ डगले डगले भूलो अमारी दे सद् बुद्धि भूलो विसारी तुज विण कोण लेशे सम्भाळ अमे तो तारां नानां बाळ दीन दुःखीयाना दुःख हरवाने आपो बळ मने सहाय थवाने अम पर प्रेम घणो वरसाव अमे तो तारां नानां बाळ बाळ जीवन अम वीते हरषे ना दुनियानी मलीनता स्पर्शे अमारुं हसवुं रहे चिर काळ अमे तो ताराअं नानां बाला

शंभु शरणे पडी, मांगु घडी रे घडी

शंभु शरणे पडी, मांगु घडी रे घडी कष्ट कापो, दया करी दर्शन शिव आपो ॥ तमे भक्तोना दुःख हरनारा, शुभ सौनुं सदा करनारा; हु तोमंद मति, तारी अकळ गति, कष्टो कापो, दया करी दर्शन शिव आपो। शंभु ॥ आपो भक्तिमां भाव अनेरो, शिव भक्तिमां धर्म घणेरो; प्र्भु तमे पूजो देवी पार्वती पूजो, कष्टो कापो दया करी दर्शन शिव आपो।शंभु ॥ अंगे भस्म स्मशाननी चोळी, संगे राखो सदा भूत टोळी; भाले तिलक कर्युं, कंठे विषने धर्युं, अमृत आपो, दया करी दर्शन शिव आपो। शंभु ॥ नेति नेति ज्यां वेद कहे छे, मारु चितडु त्यां जावा चहे छे, सारा जगमां छे तु, वसु तारामां हु, शक्ति आपो, दया करी दर्शन शिव आपो। शंभु ॥ हु तो एकल पंथी प्रवासी, छतां आत्मा केम उदासी; थाक्यो मथी रे मथी, कारण मळतु नथी, समजण आपो, दया करी दर्शन शिव आपो। आपो ॥ आपो द्रष्टीमां तेज अनोखुं, सारी सृष्टीमां शिवरूप देखुं; मारा मनमां वसो, आवी हैये हसो, शांति स्थापो,दया करी दर्शन शिव आपो। शंभु ॥ भोळा शंकर भव दुःख कापो, नित्य सेवानुं शुभ धन मने आपो, टाळो मान-मद, गाळो सर्व सदा, भक्ति आपो, दया करी दर्शन शिव आपो। शंभु ॥ अंगे शोभे छे रुद्रनी माळा, कंठे लटके छे भोरिंग काळा, तमे उमिया पति, अमने आपो मति; कष्ट कापो, दया करी दर्शन शिव आपो। शंभु ॥

विश्वंभरी अखिल विश्वतणी जनेता

विश्वंभरी अखिल विश्वतणी जनेता, विद्याधरी वदनमां वसजो विधाता; दुर्बुद्धि दूर करीने सदबुद्धि आपो माम् पाहि ओ भगवती ! भव दुःख कापो । १ भूलो पडी भवरणे भटकुं भवानि, सुझे नहि लगीर कोइ दिशा जवानी; भासे भयंकर वळी मनना उतापो, माम् पाहि ओ भगवती ! भव दुःख कापो । २ आ रंकने उगरवा नथी कोइ आरो, जन्मांध छुं जननी हुं ग्रही बांह्य तारो, ना शुं सुणो भगवती शिशुना विलापो, माम् पाहि ओ भगवती ! भव दुःख कापो । ३ मा कर्म जन्म कथनी करतां विचारुं, आ सृष्टिमां तुज विना नथी कोइ मारुं, कोने कहुं कठिन युग तणो बळापो, माम् पाहि ओ भगवती ! भव दुःख कापो । ४ हुं काम क्रोध मद मोह थकी छकेलो, आडंबरे अति घणो मदथी बकेलो, दोषो थकी दुषितना करी माफ पापो, माम् पाहि ओ भगवती ! भव दुःख कापो । ५ ना शाश्त्रना श्रवणनुं पयपान पीधुं, हा मंत्र के स्तुति कथा नथी कांइ कीधुं, श्रद्धा धरी नथी कर्या तव नाम जापो, माम् पाहि ओ भगवती ! भव दुःख कापो । ६ रे रे भवानि बहु भूल थै ज मारी, आ जिंदगी थै मने अतिशे अकारी, दोषो प्रजाळी सघळां तव छाप छापो, माम् पाहि ओ भगवती ! भव दुःख कापो । ७ खाली न कांइ स्थळ छे विण आप धारो, ब्रह्मांडमां अणुं अणुं महीं वास तारो, शक्ति न माप गणवा अगणित मापो, माम् पाहि ओ भगवती ! भव दुःख कापो । ८ पापे प्रपंच करवा बधी वाते पूरो, खोटो खरो भगवती पण हुं तमारो, जाड्यांधकार करी दूर सुबुद्धि आपो, माम् पाहि ओ भगवती ! भव दुःख कापो । ९ शीख सुणे रसिक छंद ज एक चित्ते, तेने थकी त्रिविध ताप टळे खचित्ते, वाघे विशेष वळी अंब तणा प्रतापो, माम् पाहि ओ भगवती ! भव दुःख कापो । १० श्री सदगुरु शरणमां रहीने यजुं छुं, रात्रिदिने भगवती तुजने भजुं छुं, सदभक्त सेवकतणा परिताप चांपो, माम् पाहि ओ भगवती ! भव दुःख कापो । ११ अंतर विषे अधिक उर्मि थतां भवानि, गाउं स्तुति तव बळे नमीने मृडाणी, संसारना सकळ रोग समूळ कापो, माम् पाहि ओ भगवती ! भव दुःख कापो । १२

आनंद मंगल करुं आरती

आनंद मंगल करुं आरती, हरिगुरु संतनी सेवा; प्रेम करी मंदिर पधरावुं, सुंदर सुखडां लेवाम् । आनंद । काने कुंडळ माथे मुगत, अकळ स्वरूपी एवा; भक्त, ओधारण त्रिभोवन तारण, त्रण भुवनना देवा । आनंद । अडसठ तीरथ गुरुजीना चरणे, गंगा जमुना रेवा; संत मळे तो महासुख पामुं, गुरुजी मळे तो मेवा । आनंद । शिव सनकादिक ओर ब्रह्मादिक, नारद मुनि देवा; कहे ``प्रीतम'' ओळखो अणसारे, हरिना जन हरिजेवा । आनंद ।

आनंदनो गरबो

(भक्त श्री वल्लभ भट्ट नी रचित श्री बहुचर स्तुति) आज मने आनंद, वाध्यो अति घणो ``मा'' गावा गरबो छंद, बहुचर आप तणो ``मा'' १ अलवे आळ पंपाळ, अपेक्षा ज आणी ``मा'' छो इच्छवा प्रतिपाळ, द्यो अमृतवाणी ``मा'' २ स्वर्ग मृत्यु पाताळ, वास सकळ तारो ``मा'' बाळ करी संभाळ, कर झालो मारो ``मा'' तोतला ज मुख तन्न, ``तो तो तोय'' कहे ``मा'' अर्भक मागे अन्न, निज माता मन लहे ``मा'' ४ नहीं सव्य अपसव्य, कंइ कांइ जाणुं ``मा'' कली कहावा कव्य, मन मिथ्या ह आणुं ``मा'' ५ कुलज कुपात्र कुशील, कर्म अकर्म भर्यो ``मा'' मूरखमां अणमील, रस रटवा विचर्यो ``मा'' ६ मूढ प्रौढ गति मति, मन मिथ्या मापी ``मा'' कोण लहे उत्पत्ति, विश्व रह्यां व्यापी ``मा'' ७ प्राक्रम पौढ प्रचंड, प्रबळ न पळ प्रीछुं ``मा'' पूरण प्रकट अखंड, अज्ञ थको इच्छुं ``मा'' ८ अर्णव ओछे पात्र, अकल करी आणुं ``मा'' पामुं नहीं पळमात्र, मन जाणुं नाणुं ``मा'' ९ रसना युग्म हजार, ते रटतां हार्यो ``मा'' इशें अंश लगार, लै मन्मथ मार्यो ``मा'' १० मार्कंड मुनिराय मुख , माहात्मय भाख्युं ``मा'' जैमिनी ऋषि जेवाय, उर अंतर राख्युं ``मा'' । ११ अण गण गुण गति गोत, खेल खरो न्यारो ``मा'' मात जागती ज्योत, झळहळतो पारो ``मा'' । १२ जश तृणवत गुणगाथ, कहुं उंडळ गुंडळ ``मा'' भरवा बुद्धि बे हाथ, ओधामां उंडळ ``मा'' १३ पाग नमावी शीश, कहुं घेलुं गांडु ``मा'' मात न धरशो रीस, छो खुल्लुं खांडुं ``मा'' । १४ आद्य निरंजन एक, अलख अकळ राणी ``मा'' तुजथी अवर अनेक, विस्तरतां जाणी ``मा'' । १५ शक्ति सृजवा सृष्टि, सहज स्वभाव स्वल्प ``मा'' किंचित् करुणा द्रष्टि, कृत कृत् कोटी कल्प ``मा'' १६ मातंगी मन मुक्त, रमवा मन कीधुं ``मा'' जोवा युक्त अयुक्त,रचियां चौद भुवन ``मा'' । १७ नीर गगन भू तेज, हेत करी निर्म्यां ``मा'' मारुत वश जे छे ज, भांड ज करी भर्म्या ``मा'' । १८ तत्क्षण तनथी देह, त्रण्य करी पेदा ``मा'' भवकृत कर्ता जेह, सृजे पाळे छेदा ``मा'' १९ प्रथम कर्या उच्चार, वेद चार वायक ``मा'' धर्म समस्त प्रकार, भू भणवा लायक ``मा'' । २० प्रकटी पंच महाभूत, अवर सर्व जे को ``मा'' शक्ति सर्व संयुक्त, शक्ति विण नहीं को ``मा'' । २१ मूळ महीं मंडाण, महा माहेश्वरी ``मा'' जग सचराचर जाण, जय विश्वेश्वरी ``मा'' २२ जड मध्ये जडशाइ , पोढया जगजीवन ``मा'' बेठां अंतरिक्ष आइ, खोळे राखी तन ``मा'' । २३ व्योम विमाननी वाट् , ठाठ ठठयो आछो ``मा'' घट घट सरखो घाट, काच बन्यो काचो ``मा'' । २४ अज रज गुण अवतार, आकारे आणी ``मा'' निर्मित हित नरनार, नखशिख नारायणी ``मा'' । २५ पन्नगने पशु पंखी , पृथक पृथक प्राणी ``मा'' जुग जुग मांहे झंखी, रूपे रूद्राणी ``मा'' । २६ चक्षु मध्य चैतन्य वच आसन टीकी ``मा'' जणाववा जन मन्य, मध्य मात कीकी ``मा'' । २७ कणचर तृणचर वायु, चर वारि चरता ``मा'' उदर उदर भरी आयु, तुं भवनी भर्ता ``मा'' । २८ रजो तमो ने सत्व, त्रिगुणात्मक त्राता ``मा'' त्रिभुवन तारण तत्त्व, जगत तणी जाता ``मा'' । २९ ज्यां जयम त्यां त्यम रुप, तें ज धर्युं सघळे ``मा'' कोटी करे जपघूप, कोइ तुजने न कळे ``मा'' । ३० मेरु शिखर महीमांय , धोळागढ पासे ``मा'' बाळी बहुचर आय, आद्य वसे वासो ``मा'' । ३१ न ल्हे ब्रह्मा भेद, गुह्य गति तारी ``मा'' वाणी वखाणे वेद, शी ज मति मारी ``मा'' । ३२ विष्णु विमासी मन्य, ᳚धन्य᳚ज उच्चरिया ``मा'' अवर न तुमथी अन्य, बाळी बहुचरिया ``मा'' । ३३ माने मन माहेश, मात मया कीधे ``मा'' जाणे सुरपति शेष, सहु तारे लीधे ``मा'' । ३४ सहस्त्र फणाधर शेष, शक्ति सबळ साधी ``मा'' नाम धर्युं नागेश, कीर्ति ज तो वाधी ``मा'' । ३५ मच्छ कच्छ वाराह, नरसिंह वामन थै ``मा'' अवतारो ताराह , ते तुज महात्म्य मही ``मा'' । ३६ परशुराम श्रीराम ,राम बळी बळ जेह ``मा'' बुद्ध कल्की नाम, दश विध धारी देह ``मा'' । ३७ मध्य मथुरांथी बाळ, गोकुळ तो पहोत्युं ``मा'' तें नाखी मोहजाळ, बीजुं कोई न्होतुं ``मा'' । ३८ कृष्णा कृष्ण अवतार, कलि कारण कीधुं ``मा'' भुक्ति मुक्ति दातार, थै दर्शन दीधुं ``मा'' । ३९ व्यंढळने वळी नार,पुरुषपणे राख्यां ``मा'' ए अचरज संसार, श्रुति स्मृतिए भाख्यां ``मा'' । ४० जाणी व्यंढळ काय, जगमां अणजुक्ति ``मा'' ``मा'' माटे महिमाय, इन्द्र कथे युक्ति ``मा'' । ४१ महिरामण मथी मेर, कीधो रवैयो स्थिर ``मा'' काढ्यां रत्न एक तेर, वासुकिनां नेतर ``मा'' । ४२ सुर संकट हरनार, सेवकनां सन्मुख ``मा'' अविगति अगम अपार, आनंदोदधि सुख ``मा'' । ४३ सनकादिक मुनि साथ, सेवी विविध विधे ``मा'' आराधी नवनाथ, चोराशी सिद्धे ``मा'' । ४४ आवी अयोध्या इश, नामी शिश वळ्यां ``मा'' दश मस्तक भुज वीस, छेदी सीत मळ्यां ``मा'' । ४५ नृप भीमकनी कुमारी तम पूज्ये पामी ``मा'' रुक्ष्मणी रमण मुरारी मन मान्यो स्वामी ``मा'' । ४६ राख्या पांडु कुमार, छाना स्त्री संगे ``मा'' संवत्सर एक बार, वाम्या तुम अंगे ``मा'' । ४७ बांध्यो तन प्रध्युम्न , छूटे नहीं को थी ``मा'' समरी पूरी सनखल , गयो कारागृहथी ``मा'' । ४८ वेद पुराण प्रमाण, शास्त्र सकल साखी ``मा'' शक्ति सृष्टि मंडाण, सर्व रह्यां राखी ``मा'' । ४९ ज्यां ज्यां जुगते जोइ, त्यां त्यां तुं तेवी ``मा'' सम विभ्रम मति खोइ, कही न शकुं केवी ``मा'' । ५० भूत भविष्य वर्तमान, भगवती तुं भवनी ``मा'' आदि मध्य अवसान, आकाशे अवनी ``मा'' । ५१ तिमिर हरण शशीसूर, ते तारो धोखो ``मा'' अमी अग्नि भरपूर, थै पोखो शोखो ``मा'' । ५२ खट ऋतु रस षट मास, द्वादश प्रतिबन्धे ``मा'' अंधकार उजास, अनुक्रम अनुसन्धे ``मा'' । ५३ धरती तळ धन धान्य, ध्यान धर्ये ना'वो ``मा'' पालन प्रजा पर्जन्य , अणचिंतव्यां आवो ``मा'' । ५४ सकल सिद्धि सुखदायी, पय दधी धृत मांही ``मा'' सर्वे रस सरसांइ, तुज विण नहीं कांइ ``मा'' । ५५ सुख दु:ख बे संसार, तारा निपजाया ``मा'' बुद्धि बलनी बलिहार, घणुं डाह्यां वाह्यां ``मा'' । ५६ क्षुधा तृषा निद्राय, लघु यौवन वृद्धा ``मा'' शांति शौर्य क्षमाय, तुं सघळे श्रद्धा ``मा'' । ५७ काम क्रोध मोह लोभ, मद मत्सर ममता ``मा'' तृष्णा स्थिरता क्षोभ, शांति ने समता ``मा'' । ५८ धर्म अर्थ ने काम, मोक्ष तुं मम्माया ``मा'' विश्व तणो विश्राम, उर अंतर छाया ``मा'' । ५९ उदय उदारुण अस्त, आद्य अनादेनी ``मा'' भाषा भूर समस्त, वाक्य विवादेनी ``मा'' । ६० हर्ष हास्य उपहास्य , काव्य कवित वित्त तुं ``मा'' भाव भेद निज भाष्य, भ्रांति भली चित्त तुं ``मा'' । ६१ गीत नृत्य वाजींत्र , ताल तान माने ``मा'' वाणी विविध विचित्र, गुण अगणित गाने ``मा'' । ६२ रतिरस विविध विलास, आश सक्ल जगनी ``मा'' तन मन मध्ये वास, मम्माया मगनी ``मा'' । ६३ जाणे अजाणे जग्त , बे बाधा जाणे ``मा'' जीव सकळ आसक्त, सहु सरखा माणे ``मा'' । ६४ विविध भोग मरजाद, जग दाख्युं चाख्युं ``मा'' गरथ सुरत निःस्वाद, पद पोते राख्युं ``मा'' । ६५ जड, थड, शाखा, पत्र, फूल फळे फळती ``मा'' परमाणु एकत्र, रस बस विचरती ``मा'' । ६६ निपट अटपटी वात, नाम कहुं कोनुं ``मा'' सर्जी साते घात, मात अधिक सोनुं ``मा'' । ६७ रत्न, मणि माणिक्य, नंग मुंगीयां मुक्ता ``मा'' आभा अटळ अधिक्य ,अन्य न संयुक्ता ``मा'' । ६८ नील पीत, आरक्त, श्याम श्वेत सरखी ``मा'' उभय व्यक्त अव्यक्त, जगत जने निरखी ``मा'' । ६९ नग जे अधिकुळ आठ, हिमाचल आद्ये ``मा'' पवन गवन ठठी ठाठ, तुज रचिता माद्ये ``मा'' । ७० वापी कूप तळाव, तुं सरिता सिंधु ``मा'' जळ तारण जयम नाव, त्यम तारण बंधु ``मा'' । ७१ वृक्ष वन भार अढार, भू उपर ऊभां ``मा'' कृत्य कर्म करनार , कोश विधां कुंभां ``मा'' । ७२ जड चैतन्य अभिधान, अंश अंशधारी ``मा'' मानवि माटे मान, ए करणी तारी ``मा'' । ७३ वर्ण चार विधि कर्म ,धर्म सहित स्थापी ``मा'' बेने बार अपर्म,अनुचर वर आपी ``मा'' । ७४ वाडव वह्नी निवास, मुख माता पोते ``मा'' तृप्ते तृप्ते आश, मात जगन जोते मा। ७५ लक्ष चोरासी जंत, सहु तारा कीधा ``मा'' आणी असुरनो अंत, दंड भला दीधा ``मा'' । ७६ दुष्ट दम्या कंई वार, दारुण दुःख देता ``मा'' दैत्य कर्यां संहार, भाग यज्ञ लेता ``मा'' । ७७ शुद्ध करण संसार, कर त्रिशुळ लीधुं ``मा'' भूमि तणो शिरभार, हरवा मन कीधुं ``मा'' । ७८ बहुचर बुद्धि उदार, खळ खोळी खावा ``मा'' संत करण भवपार, साध्य करे शावा``मा'' । ७९ अधम उद्धारण हार, आसनथी ऊठी ``मा'' राखण जग व्यवहार, बद्ध बांधी बेठ्ठी ``मा'' । ८० आणी मन आनंद, महीं मांडयां पगलां ``मा'' तेज किरण रवि चंद्र , दे नानां डगलां ``मा'' । ८१ भर्यां कदम बे चार, मदमाती मदभर ``मा'' मनमां करी विचार, तेडाव्यो अनुचर ``मा'' । ८२ कुरकट करी आरोह, करुणाकर चाली ``मा'' नख पंखी मेल्योह , पग पृथ्वी हाली ``मा'' । ८३ ऊडीने आकाश, थई अद्भुत आव्यो``मा'' अधक्षणमां एक श्वास अवनि तळ लाव्यो ``मा'' । ८४ पापी करण नीपात, पृथ्वी पड मांहे ``मा'' गोठयुं मन गुजरात, भीलां भडमांहे ``मा'' । ८५ भोळी भवानी माय, भाव भले भाळे ``मा'' कीधी धणी कृपाय, चुंवाळे आळे ``मा'' । ८६ नव खंड न्याळी नेट, नजर वजर पेठी ``मा'' त्रण्य गाम तरभेट , ठेठ ठरी बेठी ``मा'' । ८७ सेवक सारण काज, सलखनपुर सेडे ``मा'' ऊठयो एक अवाज, डेडाणा नेडे ``मा'' । ८८ आव्यां अशरण शरण , अति आनंद भर्यो ``मा'' उदित मुदित रविकिर्ण, दशदिश यश प्रसर्यो ``मा'' । ८९ सकळ समय जगमात, बेठां चित्त स्थिर थै ``मा'' वसुधामां विख्यात, वात वायु विधि गई ``मा'' । ९० जाणे सहु जग जोर, जगजननी जोखे ``मा'' अधिक उडाड्यो शोर, वास करी गोखे ``मा'' । ९१ चार खूट चोखाण, चर्चा ए चाली ``मा'' जनजन प्रति मुखवाण,बहुचर बिरदाळी ``मा'' ९२ उदो उदो जयकार, कीधो नवखंडे ``मा'' मंगळ वर्त्यां चार, चौदे ब्रह्मांडे ``मा'' । ९३ गाज्या सागर सात, दूधे मे उठा ``मा'' अधर्म घर उत्पात, सहु कीधा जुठा ``मा'' । ९४ हरख्या सुर नर नाग, मुख जोई``मा'' नुं ``मा'' अवलोकी अनुरागमुन मन सरखानुं ``मा'' । ९५ नव ग्रह नमवा काज, पाग पळी आव्या ``मा'' उपर उवारण काज, मणिमुक्ता लाव्या ``मा'' । ९६ दश दिशना दिग्पाल, देखी दुःख वाम्या ``मा'' जन्म मरण जंजाळ, मटतां सुख पाम्या ``मा'' । ९७ गुण गांधर्व यश गान, नृत्य करे रंभा ``मा'' सुर स्वर सुणतां कान, गति थई गई स्थंभा ``मा'' । ९८ गुणनिधि गरबो जेह, बहुचर तुम केरो ``मा'' धारे धारी देह, सफळ फळे फेरो ``मा'' । ९९ पामे पदारथ पांच, श्रवणे सांभळतां ``मा'' ना'वे उन्ही आंच, दावानळ बळतां ``मा'' । १०० शस्त्र न अडके अंग, आद्य शक्ति राखे ``मा'' नित नित नवले रंग, धर्म कर्म पाळे ``मा'' । १०१ जळ जे अकळ अघात, उतारे बेडे ``मा'' क्षण क्षण निशदिन मात,भवसंकट फेडे ``मा'' १०२ भूत प्रेत जंबूक व्यंतरी डाकीनी ``मा'' नावे आडी अचूक, समर्यां शक्तिनी ``मा'' ।१०३ चकण करण गति भंग, खंग पंग वाळे ``मा'' गुंग मुंग मुख अंग, व्याधि बधी टाळे ``मा'' १०४ सेण विहोणां नेण, नेहे नेणां आपे, ``मा'' पुत्र विहोणा केण, कंइ म्हेणां कापे ``मा'' । १०५ कलि कल्पतरु झाड, जे जाणे तेने ``मा'' भक्त लडावे लाड, पाड विना केने ``मा'' । १०६ प्रगट पुरूष पुरूषाई, तुं आपे पळमां ``मा'' ठालां घर ठकुराई, दे दळ हळ बळमां ``मा'' । १०७ निर्धनने धनपात्र, तुं करतां शुं छे ``मा'' रोग, दोष दुःख मात्र, तुं हरतां शुं छे ``मा'' ? १०८ हय गज रथ सुखपाल, आल विना अजरे ``मा'' वर दे बहुचर बाल, न्याल करो नजरे ``मा'' । १०९ धर्म ध्वजा धन धान्य , न टळे धाम थकी ``मा'' महिपति मुख दे मान्य , ``मा'' नां नाम थकी ``मा'' । ११० नरनारी धरी देह, हेते जे गाशे ``मा'' कुमति कर्मकृत खेह, थई ऊडी जाशे ``मा'' । १११ भगवती गीत चरित्र, नित सुणशे काने ``मा'' थई कुळ सहित पवित्र, चडशे वैमाने ``मा'' । ११२ तुं थी नथी को वस्त, तेथी तुंने तर्पुं ``मा'' पूरण प्रगट प्रशस्त, शी उपमा अर्पुं ``मा'' । ११३ वारंवार प्रणाम, करजोडी कीजे ``मा'' निर्मळ निश्चळ नाम, जननीनुं लीजे ``मा'' । ११४ नमो नमो जगमात, नाम सहस्त्र तारे ``मा'' मात तात ने भ्रात ,तुं सर्वे मारे ``मा'' । ११५ संवत शत दश सात, नव फाल्गन शुद्धे ``मा'' तिथि तृतिया विख्यात, शुभ वासर बुध्धे ``मा'' । ११६ राजनगर निज धाम, पुर नवीन मध्ये ``मा'' आई आद्य विश्राम, जाणे जग बध्ये ``मा'' । ११७ करी दुर्लभ सुलर्भ, रहुं छुं छेवाडो ``मा'' कर जोडी वल्लभ, कहे भट्ट मेवाडो ``मा'' । ११८ (भक्त श्री वल्लभ भट्ट नी रचित श्री बहुचर स्तुति)
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