भारतवन्दना २
भजे भारतं चारु - शोभाऽभिरामम् ।
शुभं शाश्वतं भारती - भव्य - धामम् ॥
पदं पैतृकं मातृपीठं ललामं
सदा सन्दधेऽहं मुदा पुण्य - नामम् ।
लसत् शुभ्र - हैमाचलं मौलि - भालं
लुठत्कण्ठ - मन्दाकिनी - मञ्जुमालं
वृहद्वारिधि - स्निग्ध कल्लोल - नीरै-
रभिक्षालितं विश्व - वन्द्याङ्घ्रिनालम् ।
वहु - प्रान्तर - प्रान्त - रम्यान्तरालं
पुर - ग्राम - धामाभिरामं रसालं
दिगन्तश्रितं वन्य - लावण्य - जालं
भजेऽहं सदा भारतं श्रीविशालम् ।
सदा सर्व - शान्तिप्रदं निर्विषादं
भव-भ्रान्ति - भावच्छिदं निष्प्रमादं
सदा निवृतं निर्भयं निर्विवादं
भजे भारतं सर्व - सम्पूज्य - पादम् ।
-कविवर श्री श्रीधर पाठकानां
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