परशुरामध्यानम्
परशुरामजी की उपासना सात्त्विक, राजस और तामस रूप में की जाती
है तब छिन्नमस्ता के यन्त्र में ही उनकी पूजा होती है और परशुराम
गायत्री का जप किया जाता है । यथा-
ब्रह्मक्षेत्राय विद्महे, क्षत्रियान्ताय धीमहि ।
तन्नो रामः प्रचोदयात् ।
यह परशुराम गायत्री अद्भुत है । राज्य एवं वैभव प्रदान करने
वाली है । इसके ऋषि भारद्वाज, छन्द गायत्री, देवता श्री परशुराम
हैं । इनका सात्त्विक ध्यान इस प्रकार है-
सात्त्विकं श्वेतवर्णं च भस्मोद्धूलितविग्रहम् ।
अग्निहोत्रस्थलासीनं नानामुनिगणावृतम् ।
कम्बलासनमारूढं स्वर्णतारकुशाङ्गुलिम् ।
श्वेतवस्त्रद्वयोपेतं जुह्वन्तं राममाश्रये ॥
इति रुद्रयामले तन्त्रे परशुरामध्यानं सम्पूर्णम् ।
Proofread by Aruna Narayanan