निराश्रयाष्टकम्
हे दारुदेहिन् वडदाण्डनाथ ब्रह्माण्डनाथ प्रणतार्तिनाथ ।
हे श्रीजगन्नाथ अनाथनाथ निराश्रयं मां जगदीश रक्ष ॥ १॥
हे घोषयात्रापरिपूतमूर्ते हे चक्रनेत्र प्रियमोहनीय ।
हे सालवेगयवनाभिराम निराश्रयं मां जगदीश रक्ष ॥ २॥
हे नन्दिघोषारूढ देवदेव हे रत्नसिंहासनपूजनीय ।
हे गुण्डिचामण्डपराजमान्य निराश्रयं मां जगदीश रक्ष ॥ ३॥
हे बन्धुबन्धो सुखसारसिन्धो हे दासिआ-वाउरिलोकबन्धो ।
संसारबन्धो करुणैकसिन्धो निराश्रयं मां जगदीश रक्ष ॥ ४॥
हे राजलक्ष्मीप्रिय वासुदेव प्रभो कलाश्रीमुख कृष्णचन्द्र ।
हे विश्वकर्मन् सुरराजराज निराश्रयं मां जगदीश रक्ष ॥ ५॥
हे कंसकालाधिपते महेश हे श्रीपते हे सुमहाप्रसाद ।
हे विश्वतात त्रिदिवाधिपत्य निराश्रयं मां जगदीश रक्ष ॥ ६॥
हे कामपालानुजवामसंस्थ भग्नीसुभद्रासह दारुब्रह्म ।
हे भक्तवाञ्छावट कल्पवृक्ष निराश्रयं मां जगदीश रक्ष ॥ ७॥
हे रामनाथाध्वरनाथनाथ त्रैलोक्यनाथप्रणवाधिनाथ ।
नीलाद्रिनाथ श्रुतिसारनाथ निराश्रयं मां जगदीश रक्ष ॥ ८॥
इति नन्दप्रदीप्तकुमारविरचितं निराश्रयाष्टकं (२) समाप्तम् ।
Composed, encoded, and proofread by
Dr. Pradipta Kumar Nanda, Kendrapara, Orisa pknanda65 at gmail.com