श्रीमधुसूदनस्तोत्रम्
शरणं भव करुणां मयि कुरु दीनदयालो
करुणारसवरुणालय करिराजकृपालो ।
अधुना खलु विधिना मयि सुधिया सुरफलितं
मधुसूदन मधुसूदन हर मामकदुरितम् ॥ १॥
घृणिमण्डलमणिकुण्डलगमण्डपशयन
अणिमादिसुगुणभूषण मणिमण्डपसदन ।
विनतासुतघनवाहन मुनिमानसभवन
मधुसूदन मधुसूदन हर मामकदुरितम् ॥ २॥
करनूपुरधर सुन्दर करशोभितवलय
सुरभूसुरभयवारक धरणीधर कृपया ।
त्वरया हर भवमीश्वर सुरवन्दितवीर्य
मधुसूदन मधुसूदन हर मामकदुरितम् ॥ ३॥
हरिशीकर(अरिभीकर) हरसोदर (हरसंस्तुत) परिपूर्ण सुधाब्धे
नरकान्तक नरपालक परिपालितजलधे ।
हरिसेवकनारायणवरतीर्थपरात्मन्
मधुसूदन मधुसूदन हर मामकदुरितम् ॥ ४॥
इति श्रीमधुसूदनस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
Proofread by Rajesh Thyagarajan