श्रीगरुडस्य द्वादशनाम स्तोत्रम्
सुपर्णं वैनतेयं च नागारिं नागभीषणम् ।
जितान्तकं विषारिं च अजितं विश्वरूपिणम् ।
गरुत्मन्तं खगश्रेष्ठं तार्क्ष्यं कश्यपनन्दनम् ॥ १॥
द्वादशैतानि नामानि गरुडस्य महात्मनः ।
यः पठेत् प्रातरुत्थाय स्नाने वा शयनेऽपि वा ॥ २॥
विषं नाक्रामते तस्य न च हिंसन्ति हिंसकाः ।
सङ्ग्रामे व्यवहारे च विजयस्तस्य जायते ।
बन्धनान्मुक्तिमाप्नोति यात्रायां सिद्धिरेव च ॥ ३॥
॥ इति बृहद्तन्त्रसारे श्रीगरुडस्य द्वादशनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
महात्मा गरुडजीके बारह नाम इसप्रकार हैं- १) सुपर्ण (सुंदर
पंखवाले) २) वैनतेय (विनताके पुत्र ) ३) नागारि ( नागोकें शत्रु
) ४) नागभीषण (नागोंकेलिये भयंकर ) ५) जितान्तक ( कालको भी
जीतनेवाले ) ६) विषारिं (विषके शत्रु ) ७) अजित ( अपराजेय ) ८)
विश्वरूपी ( सर्बस्वरूप ) ९) गरुत्मान् ( अतिशय पराक्रमसम्पन्न )
१०) खगश्रेष्ठ ( पक्षियोंमे सर्वश्रेष्ठ ) ११) तार्क्ष (गरुड )
१२) कश्यपनन्दन ( महर्षि कश्यपके पुत्र ) इन बारह नामोंका जो
नित्य प्रातःकाल उठकर स्नानके समय या सोते समय पाठ करता है,
उसपर किसी भी प्रकारके विषका प्रभाव नहीं पड़ता, उसे कोई हिंसक
प्राणी मार नहीं सकता, युद्धमें तथा व्यवहारमें उसे विजय प्राप्त
होती है, वह बन्धनसे मुक्ति प्राप्त कर लेता है और उसे यात्रामे
सिद्धि मिलती है ।
कल्याण वर्ष ८४ संख्या ६ जून २०१०
Shri Garudasya Dwadashanam Stotram is in Sanskrit. It is from
Bruhat-Tantrasar. If anybody reads/listen or recite this stotra
at the time of bath or while going to sleep; he never has a fear
from poison, poisonous animals, creatures and he also becomes
free if he is in sombody's custody. Garud has a very special
importance for us. Garuda is a vehicle of God Vishnu. Garuda
asked so many questions to God Vishnu regarding life of a the
person after death and hence we came to know about our pitrues
and pitru lok. It results in Garud Purana coming into existence.